Ek koshis.............

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Hi,Myself Akhilesh Dwivedi a pharma professional; working in Dr.Reddy's Labs.

Thursday 12 May 2011

काश मैं पत्थर होता......

काश मैं पत्थर होता.....
व्यर्थ की व्यथाओं
अनंत अनुकंपाओं
इंद्रधनुषी ज़ीवन विधाओं
से मुक्त होता....
काश मैं पत्थर होता......

उष्ण हवाओं
लहू को जमा देने वाली शीतलता
हर पल अनहोनी के
भय से मुक्त होता..
काश मैं पत्थर होता.....
टूटने का फिर ज़ुड़ने का
सिलसिला अबतक चलता रहा
हर ठोकर से पहले
संभलने की तमाम कोशिश करता रहा..
निरंतर सघनता फिर विरलता का ..
तो कहीं अंत होता...
काश मैं पत्थर होता......

किसी ना किसी रूप मे
आदि से अंत  तक
चरण से माथे तक
तृप्त भाव से साना होता
टूटने के बाद भी
प्रकृति से जुड़ा होता..
काश मैं पत्थर होता......

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